जीवन का लक्ष्य
18/10/2024 11:24:34 AM administrator
लक्ष्य निर्धारित करने से उन्हें पाना सरल हो जाता है? लक्ष्य तय किए बिना क्या सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती? यदि आपके प्रश्न भी कुछ यही हैं, तो आपको यह अवश्य जानना चाहिए कि लक्ष्य निर्धारित करने से हमें क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं। प्राय: बड़े और छोटे लक्ष्य प्रसन्न जीवन की सीढ़ियाँ हैं और जिस प्रकार से हम उन्हें निर्धारित करते हैं, वह उन्हें प्राप्त करने में अंतर ला सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो लक्ष्यों के बिना, हमारे प्रयास दिशाहीन, अव्यवस्थित व अकेंद्रित हो सकते हैं, जिससे आप यह भूल जाएँगे कि आप वास्तव में अपने जीवन से क्या प्राप्त करना चाहते हैं, किंतु जब हम ऐसे लक्ष्य निर्धारित करते हैं, जो हमारे लिए आवश्यक हैं, तो वे हमें प्रतिदिन के कार्य को अधिक समर्पण के साथ करने के लिए प्रेरित करते हैं। किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अपनी प्रगति पर दृष्टि रखने में सक्षम होना तभी संभव है, जब हम किसी लक्ष्य को पहले स्थान पर रखें। इससे हमें अपने विचारों को केंद्रित बनाए रखने में सहायता मिलती है। साथ ही यह हमें हतोत्साहित होने या नकारात्मक परिणामों से बचने में सहायता करता है। जब हम किसी विशिष्ट लक्ष्य की दिशा में कार्य करते हुए अपने वर्तमान कार्य को माप पाते हैं, तब देख पाते हैं कि अभी तक हम वहाँ नहीं हैं, जहाँ हमें होना चाहिए, पर जान पाते हैं कि हमने सही दिशा में कदम उठाए हैं और आज हम उस पल से कहीं उन्नत हैं, जब हमने प्रारंभ किया था। ऐसा करने से हमें आगे और श्रेष्ठ करने की प्रेरणा मिलती है किंतु इस प्रकार का आत्मचिंतन संभव नहीं होगा, यदि हमारे पास लक्ष्य नहीं होंगे। जब हम विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो वे हमारे मस्तिष्क को यह विश्वास दिलाना प्रारंभ कर देते हैं कि कार्य को टालना हमारे लिए हानिकारक है। इसमें समय नष्ट होता है। यह एक और दिन है, जब हम उस लक्ष्य के समीप नहीं जा रहे हैं। अत: अगली बार जब अपने लक्ष्य की ओर अगला कदम टालने के बारे में सोचें, तो इन कथनों पर विचार करें। मात्र उस चीज को कल के लिए टाल दें, जिसे अधूरा छोड़ना कोई प्रभाव उत्पन्न नहीं करेगा। 'लक्ष्य निर्धारण' प्रक्रिया एक सकारात्मक व्यवहार है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। लक्ष्य निर्धारित करके अपने वर्तमान प्रदर्शन को श्रेष्ठ बनाने और जितना हमने सोचा था, उससे भी अधिक प्राप्त करने के लिए स्वयं को चुनौती दे सकते हैं। जब कोई लक्ष्य सामने न हो, तो उस कार्य को टालना हमारे लिए सरल होता है। जैसे कि एक एथलीट को अगर पता है कि उसे किसी प्रतियोगिता के लिए संतुलित होना है, तो वह प्रतिदिन कठिन प्रयास करेगा, चाहे वह अच्छा अनुभव करे या नहीं। चाहे उसके शरीर में कष्ट हो या नहीं। चूँकि उसके पास एक लक्ष्य है, इसलिए वह श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रयासरत रहेगा। एक लक्ष्य रखने में हम अपने कार्य में अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित रहते हैं। पहचानें कि आप जीवन में वास्तव में क्या प्राप्त करना चाहते हैं। इसे वर्तमान में ऐसे लिखें, जैसे कि यह पहले ही घटित हो चुका हो, जैसे- मैं अब बहुत प्रसन्न हूँ कि मैंने अपना आदर्श वजन प्राप्त करने के लिए प्रयासरत् हूँ। ऐसे कार्य चुनें, जो आपको प्रगति करते रहने दें। जैसे प्रतिदिन 30 मिनट तक टहलना, समय पर भोजन करना, सोने के लिए अलार्म लगाना। प्रतिदिन प्रात: व रात्रि को कम-से-कम 10-12 बार अपना लक्ष्य विवरण लिखकर अपने लक्ष्य से जुड़ें। इससे आपका लक्ष्य आपके मस्तिष्क में सबसे ऊपर रहेगा और अवचेतन मन उसे पूरा करने में उसकी सहायता करना प्रारंभ कर देगा। आपके इस प्रयास को भावातीत-ध्यान के माध्यम से बहुत ही प्रयास रहित विधि से प्राप्त कर सकते हैं, नियमित प्रात: एवं संध्या को 15 से 20 मिनट "भावातीत ध्यान" का अभ्यास आपको आपके लक्ष्यों के प्रति जागरूक करते हुए आपके लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए आपकी सहायता करता है।
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