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ज्योतिषी पंचांग में एकरूपता की आवश्यकता- ब्रह्मचारी गिरीश जी
भोपाल (महामीडिया) "ज्योतिष विद्या अपने आप में पूर्ण है किंतु ज्योतिष के साधक इसे सीखने में गंभीर नहीं हैं। इस समय देश में ज्योतिष शिक्षा सीखने के छोटे-छोटे अनेक केंद्र हैं किन्तु उनकी प्रतिष्ठा नहीं है, आज हमें एक बड़े एवं सुविधायुक्त प्रतिष्ठित केंद्र की आवश्यकता है, जहां से समस्त विषयों पर उचित एवं संपूर्ण जानकारी मिल सके। ताकि ज्योतिषियों को पंचांग तैयार करने में आसानी और तिथियां प्रदर्शन करने में एकरूपता बनी रहे।" उपरोक्त कथन महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज भोपाल में 'महर्षि ज्योतिष पंचांग शोध सम्मेलन' में उपस्थित ज्योतिषियों के समूह को संबोधित करते हुये कही।